आती जाती...गुनगुनाती...इठलाती...रोती गाती हंसती और हंसाती...bahut sungar rachna.
अपने मनोभावो को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं। बधाई।
sundar abhivyakti
..कुछ अलग और बेहतरीन
वो दिन जो थे मेरे...जो थे हमारे...मेरे और हमारे के अंतर्द्वन्द को उकेरती हुई रचना. सुन्दर
वाह!सुन्दर अभिव्यक्ति,पता नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि आपने लेखनी अधर में रोक दी.....कुंवर जी,
nicely composed
bhut aacha likha hai..dil ko touch kar gaya...keep it up..
बेहतरीन रचना। अपनी मौजूदगी का एहसास होना अपने स्वाभिमान के प्रति सम्मान है। आती जाती गुनगुनाती तुम... इसी तरह जीवन में गतिमय बनी रहो।
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9 टिप्पणियां:
आती जाती...
गुनगुनाती...
इठलाती...
रोती गाती हंसती और हंसाती...bahut sungar rachna.
अपने मनोभावो को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं। बधाई।
sundar abhivyakti
..कुछ अलग और बेहतरीन
वो दिन जो थे मेरे...
जो थे हमारे...
मेरे और हमारे के अंतर्द्वन्द को उकेरती हुई रचना.
सुन्दर
वाह!सुन्दर अभिव्यक्ति,
पता नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि आपने लेखनी अधर में रोक दी.....
कुंवर जी,
nicely composed
bhut aacha likha hai..dil ko touch kar gaya...keep it up..
बेहतरीन रचना। अपनी मौजूदगी का एहसास होना अपने स्वाभिमान के प्रति सम्मान है। आती जाती गुनगुनाती तुम... इसी तरह जीवन में गतिमय बनी रहो।
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