गुरुवार, जनवरी 20, 2011

नैना को सलाम






वह ठहाके लगाकर हंसती है। मन भर आता है तो टेसुए भी बहाती है। सेक्स को लेकर उसके मन में कोई दुविधा नहीं है। वह अपने तन और मन को अलग करके रखती है। प्यार वह किसी और से करती है लेकिन किसी और से बेड शेयर करने से तनिक भी हिचकिचाती नहीं। किसी भी आम लड़की की तरह वह अपने दोस्तों से कहती है कि मैं उससे मन से शादी कर चुकी हूं। यह नैना सिंह है, जो मुंबई की नामी एडवरटाइजिंग कंपनी में सीनियर पोस्ट पर काम करती है। नैना ऐसी लड़की का पर्याय है, जो अपने काम की प्रशंसा किसी आैर के हाथ में जाने पर अपने बॉस को बीच की उंगली दिखाने से भी हिचकिचाती नहीं। एक सीधी-साधी लाइन में कहा जाए तो नैना सिंह बिंदास है। सही मायने में देखा जाए तो नैना सिंह की कहानी सिर्फ उसकी नहीं है। यह कहानी हर उस लड़की की है, जो इस नये समाज में खुद के लिए संघर्ष कर रही है।
"टर्निंग-30' नामक फिल्म में डेब्यू डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव ने आम शहरी लड़की की कहानी दिखाने की कोशिश की है। लेकिन यह आम लड़की अब की है, इस संदर्भ में देखा जाए तो उसे बिंदास कहा जा सकता है। एक लड़की जब तीस की होने को आती है तो उस पर शादी और बच्चे पैदा करने का प्रेशर किस कदर समाज बनाता है, यह बहुत खूबी के साथ अलंकृता ने दिखाया है। उसके मनोभाव, पसोपेश, प्यार को लेकर खुशी और तनाव को उसने धड़ल्ले से दिखाया है। धड़ल्ले से उसने "किस' भी दिखाया है, जिसे लेकर कुछ लोगों ने बवाल भी मचाया। पर सचाई तो यही है कि हममें से अधिकतर लोग इस "किस' से परे नहीं है। सब अपनी जिंदगी में "किस' करते आए हैं और करते रहेंगे। यह तो हमारे अंदर का दोगलापन ही है कि हम सचाई को खुलेमन से स्वीकार नहीं कर पाते। या करते भी हैं तो उसे दिखाना नहीं चाहते। हमारी आदत ही हो गई है कि हम सब कुछ दबे-ढके ढंग से करने को लाचार हैं। यह लाचारी समाज ने बनाई है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन इस लाचारी से नैना सिंह और अलंकृता श्रीवास्तव जैसी लड़कियां निजात पाने की कोशिश में हैं। नैना सिंह के अलावा उसकी दो सहेलियां भी इस लाचारी से निकलने की कोशिश में लगी रहती हैं।
मुझे पता है कि लोग इस सच को स्वीकारना नहीं चाहेंगे लेकिन सचाई यही है कि हमारा शरीर कई दफा रिअक्ट करता है। यही तो नैना के साथ भी हुआ। वह मन के साथ किसी ओर से जुडी रही लेकिन उसके तन ने रिअक्ट किया। "सेक्स', इस शब्द पर आकर हमारा समाज रुक जाता है, छिप जाता है। किसी लड़की ने किस लड़के के साथ बेड पर कैसा समय बिताया, यह वह किसी को बताती नहीं। अपनी सगी सहेली से भी बताने में उसको लाज आती है। लेकिन नैना सिंह के दोस्त बड़ी बेबाकी से उससे पूछ डालते हैं कि दो सेक्स पार्टनर में से उसे किसने बेड पर ज्यादा लुभाया। इतनी ही बेबाकी से नैना जवाब भी देती है। आश्चर्य तो यह भी है कि इसी समय उसका एक पार्टनर (जिसकी तारीफ वह करती है) मौजूद है। वह किसी भी आम लड़के की तरह नैना पर झुंझलाता नहीं, बल्कि मुस्कुराता है।
मेरा यहां इस संदर्भ को पेश करने का तात्पर्य बिल्कुल भी यह नहीं है कि लड़कियों को अपना सेक्स पार्टनर बदलना चाहिए। मैं इसकी पक्षधर हो भी नहीं सकती, क्योंकि यह सबका निजी मामला है। किसी को कितने पार्टनर बनाने हैं और कितने नहीं, यह उसका बेहद निजी मामला है। मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि नैना और उसे दोस्त खुले दिमाग के हैं। उनकी सोच बेड़ियों में जकड़ी हुई नहीं है। वह आज के युवा हैं, जो खुली सोच रखते हैं। क्योंकि खुली सोच रखने वाले यही युवा प्यार को लेकर उतने ही संजीदा भी हैं। यही वजह है कि नैना के बर्थडे पर ही उसकी नजदीकी सहेली जगजाहिर करती है कि वह बाइसेक्सुअल है। पहले तो सब इसे मजाक समझते हैं लेकिन फिर सभी इस सच को बड़ी आसानी से पचा लेते हैं। उसकी सहेली बड़े प्यार से अपनी पार्टनर को लेकर सारी गैदरिंग में आती है और सब उन्हें बतौर पार्टनर स्वीकार भी कर लेते हैं।
इसी फिल्म में नैना की एक और सहेली है, जो शादीशुदा है। उसका तर्क यह है कि उसने सही उम्र में शादी करके घर बसा लिया है। उसे बेहद प्यार करने वाला पति भी मिला है। इसे धक्का तब लगता है जब पता चलता है कि उसके पति का अफेयर किसी और से है। वह इसे पचा पाने की स्थिति में तब आती है, जब वह प्रगेनेंट हो जाती है। सब कुछ बदल जाता है, पति उस लड़की से ब्रोकअप कर लेता है। बेबी डिलीवर होने के बाद पति फिर से लड़कियों के चक्कर में फंस जाता है। लेकिन इस बार वह दुखी नहीं होती। बच्चे में ही अपना भविष्य देखती है और कहती है कि मेरे बच्चे को पापा की जरूरत है। यह लड़की असल मायने में आज के समाज का प्रतिनिधित्व कर रही है। हमारे यहां की अधिकतर औरतें ऐसी ही झूठी जिंदगी जीती हैं। पति है प्यार करने वाला, तब तक, जब तक वह घर में है। घर से बाहर निकलते ही वह कुछ और हो जाता है। वह किसी और को चाहता है, किसी और से अपना बेड भी शेयर करता है। लेकिन कहलाता है "गुड एंड परफेक्ट हसबैंड'।
इन औरतों की जिंदगी से कहीं बेहतर जिंदगी नैना की है। वह रोती है, चिल्लाती है। अपने प्यार को वापस पाने के लिए जुनूनी है। इसी जुनून में वह अपने "सो कॉल्ड लवर' को पाने के लिए सेक्स का इस्तेमाल बतौर हथियार करती है। एकबारगी तो यह देखने और सुनने में बिल्कुल अच्छा नहीं लगता लेकिन वास्तविकता के धरातल पर किसी लड़की के मन में झांकें तो पता चलता है कि वह अपने प्यार को किसी भी बलबूते पाना चाहती है। वह प्यार, जिसने उसे घर-गृहस्थी बसाने का सपना दिखाया। वह साथ, जो पूरी रात उसके साथ रहता था। वह साथ, जो अपने पैरेंट्स से उसे नियमित तौर पर मिलवाता रहता था।
यही नैना ब्रेकअप के बाद पूरी तरह से टूट जाती है। इस दौरान उसकी जिंदगी में वापस आता है वह लड़का, जो उसे एक बार धोखा दे चुका है। लेकिन इस बार वह उसके साथ घर बसाने की इच्छा लेकर आया है। नैना उससे मानसिक तौर पर तो बिल्कुल भी नहीं जुड़ पाती लेकिन शाररिक तौर पर जुड़ जाती है। जब जय उसे कहता है कि वह अब और उसके लिए "ब्रोकअप सेक्स ट्वॉय' बनकर नहीं रह सकता तो नैना कुछ समझ नहीं पाती। बल्कि वह उससे लड़ती है और कहती है जब उसका मन करेगा, वह उसे छोड़ जाएगा, जब मन करेगा लौट आएगा। इस बार उसकी यह टूटन दूसरे अंदाज में सामने आती है। वह लड़ती है खुद से। पूरी-पूरी रात टेरेस पर बिता देती है। दिन से रात और रात से दिन कैसे बीता, उसे याद नहीं रहता। फिर नई सुबह आती है नया अलग जगाते हुए।
नैना की डायरी उपन्यास के कलेवर में छपता है। वह अपने पुराने ऑफिस के खिलाफ केस लड़ती है और जीत जाती है। पुराना प्रेमी वापस आता है लेकिन वह उसे स्वीकारती नहीं। वह पहले प्रेमी "जय' को स्वीकारती है लेकिन अपनी शर्तों पर। रात चाहे जितनी भी लंबी क्यों न हो, सवेरा तो सबकी आंखों को खोलता है। चिड़ियों की चहचहाहट और सूरज की किरणें नई शुरुआत करती हैं। नैना की शुरुआत भी ऐसी ही रही। ऐसी लड़की की शुरुआत, जिसने अपनी शर्तों पर जीवन जिया। जिसने अपने तन और मन के बीच दीवार खड़ी कर दी। नैना हर उस लड़की कहानी है, जो सबके अंदर बसती है। बस जरूरत है उसे ढूंढने की, उसकी हिम्मत को अपने अंदर ले आने की। उसके जज्बे को सलाम करने की। यह कहानी 30 की हो चुकी सिर्फ एक लड़की की नहीं, बल्कि हर उस लड़की की है जो अकेले अपने दम पर जीने का दुस्साहस रखती है।

मंगलवार, जनवरी 11, 2011

सब एकरस



















प्यार कुछ नहीं होता
सिवा एक एहसास के
एक सांस के
एक प्यास के


प्यार अवैध नहीं होता
ना ही वैध होता
सदैव है होता
देव है होता

प्यार में समर्पण
है बस इसमें जीवन
नहीं है इसमें रावण
सौभाग्य जैसा सुवर्ण

प्यार ना देह
ना विदेह
प्यार ना छूवन
ना बेछूवन

प्यार में सब एकरस
क्या आत्मा
क्या परमात्मा
क्या स्पर्श
क्या संघर्ष