
मेरी सहेली गीता ने ये कविता बड़े प्यार से लिखी है...
कूदती फांदती,
नाक बहती
दांत खुजाती
कब गोद में आओगी...........
गुन गुने हाथों से
मेरे दूध को बोलो कब तुम सह्लओगी.......
पैर कब लगेंगे,
कब हाथ होंगे बड़े,
और तब तुम आकर
मेरे आँचल में छिप जाना
हम तुम मिलकर
तब लुका छिपी खेलेंगे.....
13 टिप्पणियां:
कब हाथ होंगे बड़े,
और तब तुम आकर
मेरे आँचल में छिप जाना
हम तुम मिलकर
तब लुका छिपी खेलेंगे.....
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
SO SWEET........ nak bahati
aey....meri anumati leni zaruri nahi thiiiii....geetu..
hita will be a lucky child
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
nice
It touches my heart. Really, good one.
Keep it up.
मस्त लिखा आपने :)
बहुत अच्छा :)
I was not aware of this, you are a good poet. Keep it up...
ये रचना साबित करती है कि ममता का एहसास नौ महीने गर्व से पल कर नहीं निकलता... दिल को छू गई ये पंक्तियां।
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