इरेजर बचपन की पसंद
लिखो और झट से मिटा लो
खुशबू भी उसकी कुछ अलग
ऑरेंज तो कभी मैंगो फ्लेवर
रंग-बिरंगे डिजाइनर
यादों की तरह सपनीले भी
दोनों ही प्रिय थे बेहद
आज भी इरेजर की महक
कहीं आ जाती है
मीठा लगता है आज भी आम
इरेजर आज नहीं है लेकिन
है बस यादों का इंस्ट्रूमेंट बॉक्स
काश कि मिटा पाते हम
कुछ लिखा पेंसिल का
मिटा पाते कोई चेहरा
कोई गंध कोई रंग
वे रंगीले ब्रश स्ट्रोक्स
5 टिप्पणियां:
इतना स्ट्रौंग कोई इरेज़र नहीं होता ... :)
सुन्दर कविता .....कुछ यादें ऐसे होती है जिनके लिए जी चाहता है क दुनिया का कोई इरेज़र ना मिटा सके ....और कुछ ऐसे कि मिटा के फिर से पन्ना कोरा करने का दिल चाहे ....
है बस यादों का इंस्ट्रूमेंट बॉक्स
काश कि मिटा पाते हम
कुछ लिखा पेंसिल का...
बचपन की कुछ कुछ बातें आ गयी सामने.. nostalgic कर गयी आपकी रचना..
शुभकामनाएं स्पर्धा जी!
सुंदर....
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