गुरुवार, जून 21, 2012

इरेजर




इरेजर बचपन की पसंद 
लिखो और झट से मिटा लो
खुशबू भी उसकी कुछ अलग 
ऑरेंज तो कभी मैंगो फ्लेवर
रंग-बिरंगे डिजाइनर
यादों की तरह सपनीले भी
दोनों ही प्रिय थे बेहद
आज भी इरेजर की महक 
कहीं आ जाती है
मीठा लगता है आज भी आम
इरेजर आज नहीं है लेकिन 
है बस यादों का इंस्ट्रूमेंट बॉक्स
काश कि मिटा पाते हम 
कुछ लिखा पेंसिल का
मिटा पाते कोई चेहरा
कोई गंध कोई रंग
वे रंगीले ब्रश स्ट्रोक्स

5 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

इतना स्ट्रौंग कोई इरेज़र नहीं होता ... :)

Anita ने कहा…

सुन्दर कविता .....कुछ यादें ऐसे होती है जिनके लिए जी चाहता है क दुनिया का कोई इरेज़र ना मिटा सके ....और कुछ ऐसे कि मिटा के फिर से पन्ना कोरा करने का दिल चाहे ....

Madhuresh ने कहा…

है बस यादों का इंस्ट्रूमेंट बॉक्स
काश कि मिटा पाते हम
कुछ लिखा पेंसिल का...

बचपन की कुछ कुछ बातें आ गयी सामने.. nostalgic कर गयी आपकी रचना..
शुभकामनाएं स्पर्धा जी!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सुंदर....

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

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