प्रेम कोई गुल्लक नहीं
फोड़कर जिससे निकाल लूं सिक्के
ना ही कोई अलादीन का खजाना
जो बंद पड़ा हो किसी के इंतजार में
प्रेम पसीने की तरह है
जितना भी बहे
कम ही है
उधार नहीं ले सकते इसे
ना ही किसी को दे सकते हैं उपहार
प्रेम राह में भटक रहे
यात्री की यात्रा
टिकट लो या ना लो
मंजिल की खोज तो है ही
प्रेम ना ही वीरानगी है
ना सूखा, ना बाढ़
ना ही आंधी या तूफान
कुछ भी तो नहीं
कोई संज्ञा नहीं
कोई विशेषण नहीं
ना ही कोई उपनाम
दे दो चाहे जितने नाम
प्रेम बस एक हूक
सिर्फ एक सुखद कराह
हाथ की उंगलियों सा
थाम ले जो सब कुछ
1 टिप्पणी:
प्रेम बस एक हूक
सिर्फ एक सुखद कराह
हाथ की उंगलियों सा
थाम ले जो सब कुछ
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
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