गुरुवार, जनवरी 07, 2010

मेरा चाहना


चाहती हूं...

तुम्हारी बांहों में खेलूं

चांद से प्यार करूं

चांदनी से नहाऊं

आसमां को ओढ़ूं

तारों को पहनूं

हवा मेरे गीत गाए

सुमन मुझे प्यार करे

फिर...

तुम मुझे

धरती की कोख में सुला दो

ऊपर से मिट्टी की चादर आ॓ढ़ा दो

और...

मैं सोती रहूं

सदियों तक तुम्हारे इंतजार में

5 टिप्‍पणियां:

anu ने कहा…

wah kya bat hai dear. kya tumne ye likhi hai...hmm gr8..bhut aachi likhi h...

Shilpi Ranjan Prashant ने कहा…

बहुत बहुत मुबारक...... ब्लॉग सिर्फ कुछ लिखने पढ़ने का जरिया नहीं है... ये जताने का भी जरिया है कि जिंदगी से मिली तमाम खुशियां और गम के झूलों के बीच कुछ मैं भी करवटें लेतीं हैं...ब्लॉग मेरे होने का मतलब है।

rambha ने कहा…

Asma aur jami ke beech hi kahi…..
Ek najuk si gudiya panapati hai
Sochti hai
Itthalati hai
Aur gurur karti hai
Apne hone ka…

Badhai ho.....

Anita ने कहा…

happy to see yr blog....kavita bahut khoobsurat hai...jaldi he tumhare lekh aur patrakarita ke anubhav se judi chheje padhne ko milenge.......meri shubkamnaye....

संजय भास्‍कर ने कहा…

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है