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आँखें बंद सब मद्धमसुर लय
ताल थाप
बस तुम
बस हम
और नहीं
कुछ भी
जैसे साँसों का
आवागमन
हौले- हौले

एक आँगन मेरा बस
और आ जाती हैं
ना जाने कितनी अनमोल यादें
चिहुंक उठता है मेरा मन
कभी अबोला तो
कभी सांसो का मद्धम शोर
यूँ ही कहीं भी
कभी भी