मंगलवार, जनवरी 11, 2011

सब एकरस



















प्यार कुछ नहीं होता
सिवा एक एहसास के
एक सांस के
एक प्यास के


प्यार अवैध नहीं होता
ना ही वैध होता
सदैव है होता
देव है होता

प्यार में समर्पण
है बस इसमें जीवन
नहीं है इसमें रावण
सौभाग्य जैसा सुवर्ण

प्यार ना देह
ना विदेह
प्यार ना छूवन
ना बेछूवन

प्यार में सब एकरस
क्या आत्मा
क्या परमात्मा
क्या स्पर्श
क्या संघर्ष

2 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

"प्यार में सब एकरस
क्या आत्मा
क्या परमात्मा
क्या स्पर्श
क्या संघर्ष"

आप बहुत अच्छा लिखती हैं.

Daisy ने कहा…

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