मंगलवार, मई 22, 2012

आज ही तो है


तुम्हें चिढ़ाना

चांद को आजमाना

बस कल की ही बात तो है





यूं ही रूठना और बिगड़ जाना

हंसी को थाम लेना
उंगलियों को फोड़ लेना
और हां,
नाखूनों को नेलकटर से काटना
आज ही तो है





कभी हंसी की लहर

तो कभी गुदगुदी का मंजर
होंठ पर तिरछी मुस्कान
दरवाजे का धीमे से किरियाते हुए
बोलना चींचींचीं
एकदम वही सब कुछ
जैसा तुम्हारे साथ है
जैसा मेरे साथ है
बस और कोई एवज नहीं
कोई और राह नहीं





बस में चलते जाना

पसीने की गंध
धकियाते हुए उतर जाना
नुक्कड़ पर ऑटो में
उस चेहरे को थाम लेना





कभी आजमाना तो कभी इतराना

सब कुछ आज का ही तो है
कभी डर से आम खा लेना
कभी तकरार में छिप जाना
सब आज ही तो है

4 टिप्‍पणियां:

Sadan Jha ने कहा…

bahut lyrical lagaa. darvaaje ke khulne ki awaaj achhi lagi.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

छोटी छोटी बातों पर गौर किया है ...

Smart Indian ने कहा…

आज एक उपहार है!

सदा ने कहा…

वाह ... बहुत ही बढिया।